प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना भारत सरकार द्वारा सितंबर महीने में सन 2015 में चलाए जा रहे जन औषधि योजना को ही प्रधानमंत्री जन औषधि योजना के रूप में दूसरा नाम दे दिया गया था जिसे नवंबर महीने में सन 2016 में और भी अधिक अच्छी गति देने के लिए फिर से इसका नाम बदलकर के प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना कर दिया गया। इस योजना के माध्यम से जनता को कम दरों पर अच्छी गुणवत्ता वाली दवाओं को उपलब्ध कराने के लिए फार्मास्युटिकल्स विभाग द्वारा जेनेरिक दवाइयों को शुरू करने का एक अभियान शुरू किया गया। इस योजना के माध्यम से जनरिक दवाइयों को उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना को जगह-जगह स्थापित किया गया, जहां से की कम कीमतों पर अच्छी गुणवत्ता वाली तथा प्रभावकारी दवाइयां को गरीबों तक पहुंचाया जा सके। क्योंकि आज के समय में सरकार भी यह अच्छे से जानती है कि अधिक पैसा लोगों का या तो शिक्षा पर खर्च होता है या फिर दवाइयों पर।लेकिन आज के समय में गरीबों को यही दो चीज अपने परिवार को उपलब्ध कराने में एड़ी चोटी का जोर लगा देना पड़ता है लेकिन फिर भी उनकी कमाई इतनी नहीं हो पाती है कि वह अपने बच्चों को या अपने परिवार जनों को अच्छा इलाज करवा पाए या उन्हें अच्छी दवाइयां उपलब्ध करवा पाए। तो भारत सरकार ने गरीबों की इसी दर्द को समझते हुए प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना की शुरुआत की जिससे कि हर गरीब परिवार जिसे दवाइयों की जरूरत पड़ती है वह कम से कम पैसे में अच्छी से अच्छी गुणवत्ता वाली दवाइयां प्राप्त कर पाए।
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के उद्देश्य-
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के बहुत सारे उद्देश्य हैं जिन्हें कि हमें जानना बहुत ही आवश्यक है जो कि इस प्रकार से है –
- प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के माध्यम से सरकार लोगों के बीच में यह जागरूकता फैलाना चाहती है कि ऊंची कीमत यानी की महंगी दवाइयां ही उच्च गुणवत्ता वाली नहीं होती है बल्कि कम पैसे वाली दवाइयां भी उच्च गुणवत्ता धारक होती है जिनका उपयोग हमें करना चाहिए।
- इस योजना के माध्यम से जनरिक दवाइयां के संबंध में जनता में जागरूकता पैदा करने का मुख्य उद्देश्य रखा गया है जिससे कि लोगों के दिमाग में सस्ती दवाइयां को लेकर जो भी भ्रम फैले हुए हैं उसे समाप्त किया जा सके।
- जनरिक दवाइयों का उपयोग और मांग डॉक्टर के माध्यम से और भी अधिक बढ़ाने का उद्देश्य इस योजना के अंतर्गत रखा गया है जिससे की गरीब इंसान कम दाम पर अच्छी दवाइयां उपलब्ध कर पाए।
- इस योजना के माध्यम से प्रत्येक डॉक्टर को सामान्य रूप से ऐसी दवाइयां देनी चाहिए जो की जेनेरिक दवाइयों के अंतर्गत आते हैं।
- इस योजना के अंतर्गत सभी संबंधित स्वास्थ्य देखभाल उत्पाद भी देने का प्रावधान रखा गया है।
- इस योजना के माध्यम से गरीब इंसानों के लिए वे सभी दवाइयां उपलब्ध कराई गई है जो कि उनके रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोग में आती है तो उन दावों को अच्छी गुणवत्ता में रखते हुए सस्ते दरों पर बेचने का काम किया गया है।
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के लाभ-
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के बहुत सारे लाभ हैं जो कि इस प्रकार से है –
- प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के अंतर्गत ऐसे बहुत सारे स्टोर खोले गए हैं जहां पर जनरिक दवाइयां उपलब्ध हो पाए और खास तौर पर प्रधानमंत्री के नाम से ऐसी दवाइयां लेने के लिए कई सारे स्टोर खोले गए हैं जिससे कि उनकी एक अलग पहचान होती है जिसे हर कोई आसानी से पहचान कर वहां से सीधे दवाइयां खरीद पाता है ।
- यह सभी दवाइयां अच्छी गुणवत्ता वाली और प्रभावकारी होती है उन सभी महंगी ब्रांडेड दवाइयां के मुकाबले। और साथ ही साथ यह सस्ती कीमतों में भी हमें मिल जाती है जिससे कि गरीबों के जेब पर अधिक भार नहीं होता है।
- प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना को खास तौर पर सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों द्वारा लिखने के लिए प्रोत्साहित किया गया है जिसे की लोगों तक जनरिक दवाइयां पहुंचाई जा सके।
- इस योजना के माध्यम से जितने भी गरीब रोगी होते हैं और जिनकी दवाइयां लंबे समय तक चलती है क्योंकि पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोग होते हैं तो उन्हें अपनी स्वास्थ्य के देखभाल के लिए कम पैसे में ही अच्छी दवाइयां उपलब्ध हो जाती हैं जिसे कि उनकी आर्थिक बचत हो जाती है।
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना की विशेषताएं –
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना की बहुत सारी विशेषताएं हैं जो किस प्रकार से हैं –
- प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के माध्यम से चलाई जाने वाली दवाइयां की उच्च गुणवत्ता को पहचानने के लिए प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों को आपूर्ति के लिए WHO good manufacturing practice, current good manufacturing practice और CPSU द्वारा निर्मित दवाइयां ही खरीदी जाती है।
- प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के अंतर्गत खरीदी गई प्रत्येक दवाइयां को BPPI बैच पैनल में शामिल राष्ट्रीय परीक्षण और अशांकन लैब बोर्ड से मान्यता प्राप्त लैब से संतुष्टि जनक परीक्षण किया जाता है जिसे की दवाइयां की गुणवत्ता सुरक्षा और प्रभावकारिता को अच्छे से मापा जा सके और सुनिश्चित किया जा सके।इसके बाद ही इन दवाइयां को बाजारों में बेचने के लिए भेजा जाता है।
- इस योजना के माध्यम से अच्छी गुणवत्ता वाली जनरिक दवाइयां को और भी अधिक बनाने का प्रयास किया जा रहा है, तथा वे तमाम प्रकार की दवाइयां जो कि रोजमर्रा की जिंदगी में या गरीबों को कम आने वाली है वे सभी दवाइयां जेनेरिक के अंतर्गत बनाई जा रही है जिससे कि गरीबों के जेब पर कम खर्च आएगा और उपचार अधिक से अधिक अच्छा हो पाएगा।
- प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के माध्यम से सभी डॉक्टरों को चाहे वह जिस भी श्रेणी के हो उन्हें जनरिक दवाइयां को देने का और लिखने पर जोर दिया गया है। जिससे कि कम लागत में अच्छे उपचार की संभावनाएं बढ़ सके और बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य देखभाल भी हर मरीज तक पहुंच सके।
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना स्टोर खोलने की प्रक्रिया क्या है?
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के अंतर्गत यदि आप स्टोर खोलना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले यह औषधि केंद्र खोलने के लिए एक आवेदन करने की आवश्यकता होती है जहां आपको ₹5000 का शुल्क देना होता है। और साथ ही साथ आप इस बात का ध्यान रखें कि इन औषधि केदो को खोलने के लिए आपके पास बी फार्मा या डी फार्मा की डिग्री होना अनिवार्य होता है जिनके बिना आप यह औषधि केंद्र नहीं खोल सकते हैं। और इसके अलावा आपके पास औषधि केंद्र खोलने के लिए एक पर्याप्त जगह भी होना चाहिए जिसका एरिया कम से कम 130 वर्ग फुट के लगभग होना चाहिए। आवेदन प्रक्रिया में कई प्रकार की श्रेणियां को भी स्थान दिया गया होता है जिन्हें कुछ शुल्क में छूट भी दी जाती है।
राष्ट्रीय टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर- 1800-180-8080 help line number
सुझाव –
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना एक ऐसी योजना है इसके माध्यम से हम काम से कम पैसे में अच्छी से अच्छी गुणवत्ता वाली दवाइयां को खरीद पाते हैं तो जितने भी गरीब व्यक्ति हैं उनके जेब पर भर कम पड़ता है तो इसीलिए हमें भी जनरिक दवाइयां को खरीदना चाहिए और महंगी दवाइयां से बचना चाहिए। और लोगों में भी जागरूकता फैलानी चाहिए कि जरूरी नहीं है की महंगी दवाइयां अच्छी गुणवत्ता वाली ही हो।